टीम की ताकत
संगठनों की बात यदि की जाए तो ऐसा देखा जाता है कि कुछ संगठन आरंभ में अपनी उत्पादकता से एक बार एक इतिहास रचते हैं, लेकिन बाद में वे ही संगठन कामयाबी की एक सीमा के बाद उससे ऊपर नहीं उठते और उसी स्तर तक रह जाते हैं। इसके पीछे का कारण यह है - टीम की ताकत को नजरअंदाज करना, नेतृत्वकर्ता द्वारा अपनी उलब्धियों पर आत्ममुग्ध होना और इसके लिए किसी और को श्रेय न देने की भावना होना, आदि । यही कारण है कि शुरुआत में जोरदार प्रदर्शन करने वाली टीम बाद में बिखर जाती है और फिर उसकी जगह जो लोग आते हैं, वो उनके समान कार्य का प्रदर्शन करने में सफल नहीं हो पाते।
If we talk about organizations, it is seen that some organizations create a history once with their productivity in the beginning, but later those organizations do not rise above that level of success and remain at the same level. The reason behind this is - ignoring the strength of the team, the leader being too self-indulgent in his achievements and not giving credit to anyone else for it, etc. This is the reason that a team that performs strongly in the beginning, later disintegrates and then the people who come in its place are not able to perform the same work as them.
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भारत से समस्त विश्व में विद्या का प्रसार आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सत्यार्थप्रकाश में लिखते हैं कि यह निश्चय है कि जितनी विद्या और मत भूगोल में फैले हैं वे सब आर्यावर्त देश ही से प्रचारित हुए हैं। देखो! एक जैकालियट साहब पेरिस अर्थात फ्रांस देश के निवासी अपनी बाईबिल आफ इण्डिया में लिखते हैं कि सब विद्या...
अश्वमेध यज्ञ महर्षि दयानन्द अश्वमेध के मध्यकालीन रूप से सहमत नहीं थे और न इसे वेद व शतपथ ब्राह्मण के अनुकूल समझते थे। महर्षि ने ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में राजप्रजाधर्म में लिखा है कि राष्ट्रपालनमेव क्षत्रियाणाम अश्वमेधाख्यो यज्ञो भवति, नार्श्व हत्वा तदड्गानां होमकरणं चेति अर्थात् राष्ट्र का पालन करना ही क्षत्रियों का अश्वमेध यज्ञ है, घोड़े...