भारत से समस्त विश्व में विद्या का प्रसार
आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सत्यार्थप्रकाश में लिखते हैं कि यह निश्चय है कि जितनी विद्या और मत भूगोल में फैले हैं वे सब आर्यावर्त देश ही से प्रचारित हुए हैं। देखो! एक जैकालियट साहब पेरिस अर्थात फ्रांस देश के निवासी अपनी बाईबिल आफ इण्डिया में लिखते हैं कि सब विद्या और भलाईयों का भण्डार आर्यावर्त देश है और सब विद्या और मत इसी देश से फैले हैं और परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि परमेश्वर! जैसी उन्नति आर्यावर्त देश की पूर्व काल में थी, वैसी ही हमारे देश की कीजिए।
Arya Samaj founder Maharishi Dayanand writes in Satyarth Prakash that it is certain that all the knowledge and beliefs spread across the world have been propagated from the country of Aryavart. Look! A Jacolliot Sahib, a resident of Paris, France, writes in his Bible of India that the storehouse of all knowledge and goodness is the country of Aryavart and all the knowledge and beliefs have spread from this country and prays to God that O God! Please make our country progress like the Aryavart country did in the past.
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भारत से समस्त विश्व में विद्या का प्रसार आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सत्यार्थप्रकाश में लिखते हैं कि यह निश्चय है कि जितनी विद्या और मत भूगोल में फैले हैं वे सब आर्यावर्त देश ही से प्रचारित हुए हैं। देखो! एक जैकालियट साहब पेरिस अर्थात फ्रांस देश के निवासी अपनी बाईबिल आफ इण्डिया में लिखते हैं कि सब विद्या...
अश्वमेध यज्ञ महर्षि दयानन्द अश्वमेध के मध्यकालीन रूप से सहमत नहीं थे और न इसे वेद व शतपथ ब्राह्मण के अनुकूल समझते थे। महर्षि ने ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में राजप्रजाधर्म में लिखा है कि राष्ट्रपालनमेव क्षत्रियाणाम अश्वमेधाख्यो यज्ञो भवति, नार्श्व हत्वा तदड्गानां होमकरणं चेति अर्थात् राष्ट्र का पालन करना ही क्षत्रियों का अश्वमेध यज्ञ है, घोड़े...