Call Now : 8120018052, 9302101186 | MAP
     
विशेष सूचना- Arya Samaj तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall. For More information contact us at - 09302101186
arya samaj marriage indore india legal
all india arya samaj marriage place

अश्‍वमेध यज्ञ

महर्षि दयानन्द अश्‍वमेध के मध्यकालीन रूप से सहमत नहीं थे और न इसे वेद व शतपथ ब्राह्मण के अनुकूल समझते थे। महर्षि ने ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में राजप्रजाधर्म में लिखा है कि राष्ट्रपालनमेव क्षत्रियाणाम अश्‍वमेधाख्यो यज्ञो भवति, नार्श्‍व हत्वा तदड्गानां होमकरणं चेति अर्थात् राष्ट्र का पालन करना ही क्षत्रियों का अश्‍वमेध यज्ञ है, घोड़े को मारकर उसके अंगों को होम करना नहीं। यजुर्वेद के 30 व 31वें अध्याय में भी पुरुषमेध यज्ञपरक वर्णन मिलते हैं। किसी समय इस यज्ञ में पुरुषों को यूपों में बांध कर बलि देने की प्रथा थी। महर्षि दयानन्द ने 30 वें अध्याय में आये पदों का उचित अर्थ करते हुए बताया कि इसमें राजा के कर्तव्य बताते हुए कहा गया है कि अमुक-अमुक गुणों वाले पुरुष या स्त्री को आप राष्ट्र में उत्पन्न कीजिए या नियुक्त कीजिए और अमुक-अमुक दुष्ट आचरण करने वाला पुरुष या स्त्री को आप दूर कर दीजिए। इसी प्रकार कर्मकाण्डानुसार यजुर्वेद के 35वें अध्याय में इन महीधर आदि भाष्यकारों ने पशु-बलि परक अर्थ किए हैं।• 

Maharishi Dayanand did not agree with the medieval form of Ashvamedha and neither did he consider it to be in accordance with the Vedas and Shatpath Brahman. Maharishi has written in the Rigvedadibhashyabhumika in Rajprajadharma that Rashtrapalanmeva Kshatriyaanaam Ashvamedhakhyo Yagya Bhavati, Narshva Hatva Tadadgaanaam Homakaranam Cheti, that is, protecting the nation is the Ashvamedha Yagya of Kshatriyas, not killing the horse and sacrificing its parts. Descriptions of Purushamedha Yagya are also found in the 30th and 31st chapters of Yajurveda. At one time, there was a practice of sacrificing men by tying them to yupas in this yagya. Maharishi Dayanand, while giving the correct meaning of the words in the 30th chapter, told that while describing the duties of the king, it has been said that you should create or appoint a man or woman with certain qualities in the nation and you should remove a man or woman who has certain evil conduct. Similarly, as per rituals, commentators like Mahidhar etc. have given meanings related to animal sacrifice in the 35th chapter of Yajurveda.

Ashvamedha Yagna | Akhil Bharat Arya Samaj 8120018052 | Pandits for Marriage | Akhil Bharat Arya Samaj Legal Wedding | Akhil Bharat Arya Samaj Marriage Rituals | Akhil Bharat Arya Samaj Wedding | Legal Marriage | Pandits for Pooja | Akhil Bharat Arya Samaj Mandir | Akhil Bharat Arya Samaj Marriage Rules | Akhil Bharat Arya Samaj Wedding Ceremony | Legal Marriage Help | Procedure of Akhil Bharat Arya Samaj Marriage | Akhil Bharat Arya Samaj Mandir Helpline | Arya Samaj Online | Akhil Bharat Arya Samaj Wedding Rituals | Legal Marriage Helpline | Procedure of Akhil Bharat Arya Samaj Wedding | Akhil Bharat Arya Samaj Mandir Marriage | Akhil Bharat Arya Samaj Pandits for Gayatri Havan | Aryasamaj Mandir Marriage Helpline Annapurna Indore

  • अश्‍वमेध यज्ञ

    अश्‍वमेध यज्ञ महर्षि दयानन्द अश्‍वमेध के मध्यकालीन रूप से सहमत नहीं थे और न इसे वेद व शतपथ ब्राह्मण के अनुकूल समझते थे। महर्षि ने ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में राजप्रजाधर्म में लिखा है कि राष्ट्रपालनमेव क्षत्रियाणाम अश्‍वमेधाख्यो यज्ञो भवति, नार्श्‍व हत्वा तदड्गानां होमकरणं चेति अर्थात् राष्ट्र का पालन करना ही क्षत्रियों का अश्‍वमेध यज्ञ है, घोड़े...

    Read More ...

pandit requirement
Copyright @ 2022. All Rights Reserved. akhilbharataryasamaj.org