यज्ञ का व्यापक अर्थ
यज्ञ शब्द यज धातु से निष्पन्न होता है और उसके देवपूजा संगतिकरण और दान ये तीन अर्थ होते हैं, जो इस शब्द में अन्तर्निहित हैं। तीनों शब्द बहुत अधिक व्यापक अर्थों और भावों की अभिव्यक्ति करते हैं। महर्षि ने अपने समस्त ग्रन्थों और वेदभाष्य में इन शब्दों में अन्तर्निहित व्यापक अर्थों और भावों को यज्ञ के परिप्रेक्ष्य में वर्णित किया है। महर्षि ने केवल होम करने को ही यज्ञ नहीं माना है अपितु महा है कि मनुष्यों को चाहिए कि संसार के उपकार के लिए जैसे विद्वान लोग अग्निहोत्र यज्ञ का आचरण करते हैं, वैसे अनुष्ठान करें। (यजु. 17.55) महर्षि ने यज्ञ का पठन-पाठनरूप भी हमारे समक्ष रखा है। वे कहते हैं कि जो विद्या की वृद्धि के लिए पठन-पाठन रूप यज्ञकर्म करने वाला मनुष्य है, वह अपने यज्ञ के अनुष्ठान से सब की पुष्टि तथा सन्तोष करने वाला होता है, इसलिए ऐसा प्रयत्न सब मनुष्यों को करना उचित है। (यजु. 7.27)
महर्षि दयानन्द सरस्वती ने पौराणिक कर्मकाण्डियों द्वारा स्थापित भ्रामक विचारधाराओं का न केवल खण्डन किया अपितु वेद के पदों का निरुक्तानुसार यौगिक अर्थ करते हुए सटीक अर्थ प्रस्तुत करते हुए, धरती से बाहर किसी स्वर्ग नाम के लोक की प्रचलित कल्पना का विरोध किया। मनुष्याकृति वाले देवताओं का यज्ञों में आकर हवि का भक्षण करने सम्बन्धी विचार उन्हें मान्य न था। अधिष्ठात्री देवताओं की सत्ता को उन्होंने स्वीकार नहीं किया। उनसे पूर्व कर्मकाण्डियों द्वारा यज्ञ की एक सीमित परिभाषा होम के रूप में की जाती थी। महर्षि ने यज्ञ का वास्तविक प्रयोजन बताते हुए, एक व्यापक परिभाषा प्रस्तुत की है। इन समस्त तथ्यों से यह प्रमाणित होता है कि याज्ञिक विचारधारा को महर्षि ने एक अप्रतिम योगदान दिया है।
Maharishi Dayanand Saraswati not only refuted the misleading ideologies established by the Puranic ritualists, but also, by presenting the exact meaning of the verses of the Vedas by interpreting them in a yogic way, opposed the popular imagination of a heavenly world outside the earth. The idea of human-like deities coming to the yagna and consuming the offerings was not acceptable to him. He did not accept the existence of the presiding deities. Before him, ritualists had defined yagna in a limited way as a homa. Maharishi has presented a comprehensive definition by explaining the real purpose of yagna. All these facts prove that Maharishi has made an unparalleled contribution to the yagna ideology.
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