विज्ञानी मस्तिष्क
जो विज्ञानी मस्तिष्क अणु आयुध जीवन जी सकता है। जो विज्ञानी मस्तिष्क अणु आयुध और विघातक गैसें और भी न जाने क्या-क्या बना रहे हैं; वे समुद्रा के खारे पानी को मीठा बनाने जैसे कार्यों में जुट जाएँ, तो इस धरती पर स्वर्गीय परिस्थितियाँ हँसती-खेलती दिखाई पड़े और हम सब नंदनवन में रह रहे हों। एकदूसरे को गिराने में, शोषण और दोहन में हमारी जो दुरभिसंधियाँ निरंतर क्रियान्वित रहती हैं; यदि वे उलट जाएँ और परस्पर स्नेह, सहयोग प्रदान करने, ऊँचा उठाने में लग जाएँ, तो उससे सभी को राहत मिले; घृणा, द्वेष और प्रतिरोध के स्थान पर स्नेह-सौजन्य बिखर पड़े और दुनिया कितनी दूर, सुहावनी बन जाए। हर व्यक्ति के इर्द-गिर्द हर्षोउल्लास का वातावरण बिखरा दिखाई पड़ने लगे।
The scientist who brain atomic weapon can live life. The scientists who are making brain nuclear weapons and lethal gases and do not know what else; If they get involved in tasks like making the salt water of the sea sweet, then heavenly conditions on this earth are seen laughing and playing and we are all living in Nandanvan. Our complicity in bringing down each other, in exploitation and exploitation, which are constantly being implemented; If they reverse and engage in mutual affection, providing cooperation, raising, then all will be relieved from it; In place of hatred, hatred and resistance, affection and kindness should be scattered and how far the world becomes beautiful. An atmosphere of joy was seen scattered around every person.
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भारत से समस्त विश्व में विद्या का प्रसार आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सत्यार्थप्रकाश में लिखते हैं कि यह निश्चय है कि जितनी विद्या और मत भूगोल में फैले हैं वे सब आर्यावर्त देश ही से प्रचारित हुए हैं। देखो! एक जैकालियट साहब पेरिस अर्थात फ्रांस देश के निवासी अपनी बाईबिल आफ इण्डिया में लिखते हैं कि सब विद्या...
अश्वमेध यज्ञ महर्षि दयानन्द अश्वमेध के मध्यकालीन रूप से सहमत नहीं थे और न इसे वेद व शतपथ ब्राह्मण के अनुकूल समझते थे। महर्षि ने ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में राजप्रजाधर्म में लिखा है कि राष्ट्रपालनमेव क्षत्रियाणाम अश्वमेधाख्यो यज्ञो भवति, नार्श्व हत्वा तदड्गानां होमकरणं चेति अर्थात् राष्ट्र का पालन करना ही क्षत्रियों का अश्वमेध यज्ञ है, घोड़े...