स्वास्थ्य के लिए
पुरे परिवार के साथ मिल-बैठकर ही भोजन करना चाहिए। इससे परिवार में प्रेम, सद्भाव और एकता कायम होती है। भोजन पूर्व तथा उत्तर दिशा की ओर मुँह करके ही करें। संभव हो, तो भोजन के समय मौन रहें। एक-दूसरे का झूठा भोजन न करें, इससे रोग होने की आशंका रहती है। बासी भोजन न खायें। भोजन के तुरंत बाद पानी न पिये। भोजन के बाद टहलना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है। तपस्वी का भूषण क्रोध न करना, बलवान का क्षमा, धर्म का निश्छलता और सब गुणों का आभूषण केवल शील है। -भर्तृहरी। अपार धनशाली कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो कंगाल हो जाता है। -चाणक्य।
Food should be taken together with the whole family. This creates love, harmony and unity in the family. Take food only by facing towards east and north direction. If possible, be silent during the meal. Do not eat each other's fake food, there is a possibility of disease due to this. Do not eat stale food. Do not drink water immediately after a meal. Walking after meals is beneficial for health. The ornament of an ascetic is non-anger, the forgiveness of a strong person, the purity of religion and the ornament of all virtues is only modesty. Bhartrihari. Even the extremely wealthy Kubera becomes poor if he spends more than his income. -Chanakya.
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भारत से समस्त विश्व में विद्या का प्रसार आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सत्यार्थप्रकाश में लिखते हैं कि यह निश्चय है कि जितनी विद्या और मत भूगोल में फैले हैं वे सब आर्यावर्त देश ही से प्रचारित हुए हैं। देखो! एक जैकालियट साहब पेरिस अर्थात फ्रांस देश के निवासी अपनी बाईबिल आफ इण्डिया में लिखते हैं कि सब विद्या...
अश्वमेध यज्ञ महर्षि दयानन्द अश्वमेध के मध्यकालीन रूप से सहमत नहीं थे और न इसे वेद व शतपथ ब्राह्मण के अनुकूल समझते थे। महर्षि ने ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में राजप्रजाधर्म में लिखा है कि राष्ट्रपालनमेव क्षत्रियाणाम अश्वमेधाख्यो यज्ञो भवति, नार्श्व हत्वा तदड्गानां होमकरणं चेति अर्थात् राष्ट्र का पालन करना ही क्षत्रियों का अश्वमेध यज्ञ है, घोड़े...