अहंकार
संसार में बड़े से बड़ा कार्य कोई आपसे हो जाय, बड़े उपकार का कार्य। लोग आपके यश का, महानता का गुणगान करने लगें। प्रशंसा पत्र, मान पत्र भेंट होने लगे तो अहंकार में मत डूब जाना। ऐसे वक्त एकान्त में प्रभु के आगे बैठकर कहना - सब अपने ही किया, अपने ही मुझे ऐसा करने की प्रेरणा दी थी। यह आपका ही दिखलाय हुआ श्रेय है। अब मैं इस फल को, इस उपलब्धि को आप ही के चरणों में अर्पित कर रहा हूँ। मेरे प्रभु ! स्वीकार करो इसे। बहुत बड़ी भक्ति हो जाएगी या। सारे कर्म प्रभु को अर्पण करो, धन्य हो जायगा आपका जीवन।
May the biggest work in the world be done by you, a work of great favor. People started praising your fame and greatness. When you start getting letters of appreciation, honor letters, don't get drowned in ego. At such a time, sit in front of God and say - I did everything on my own, I was inspired to do so by myself. This is your visible credit. Now I am offering this fruit, this achievement at your feet. my Lord ! Admit it Will there be great devotion or not? Surrender all your deeds to the Lord, your life will be blessed.
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भारत से समस्त विश्व में विद्या का प्रसार आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सत्यार्थप्रकाश में लिखते हैं कि यह निश्चय है कि जितनी विद्या और मत भूगोल में फैले हैं वे सब आर्यावर्त देश ही से प्रचारित हुए हैं। देखो! एक जैकालियट साहब पेरिस अर्थात फ्रांस देश के निवासी अपनी बाईबिल आफ इण्डिया में लिखते हैं कि सब विद्या...
अश्वमेध यज्ञ महर्षि दयानन्द अश्वमेध के मध्यकालीन रूप से सहमत नहीं थे और न इसे वेद व शतपथ ब्राह्मण के अनुकूल समझते थे। महर्षि ने ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में राजप्रजाधर्म में लिखा है कि राष्ट्रपालनमेव क्षत्रियाणाम अश्वमेधाख्यो यज्ञो भवति, नार्श्व हत्वा तदड्गानां होमकरणं चेति अर्थात् राष्ट्र का पालन करना ही क्षत्रियों का अश्वमेध यज्ञ है, घोड़े...