दृष्टिकोण
क्या हैं वे कारण जो परिवार को सुख-शांति का आश्रयस्थल नहीं बनने देते और उनमें विद्वेष-विग्रह खड़े करते रहते हैं ? कारण कई हो सकते हैं, पर प्रमुख एक है, जिसकी शाखा-प्रशाखाएँ अन्याय कारण और परिस्थितियाँ उत्पन्न करती हैं। जिस प्रकार एक रक्त विकार शरीर स्वास्थ्य को बिगाड़ने वाले अनेकानेक लक्षण पैदा करता है और कई बीमारियाँ खड़ी करता है, उसी प्रकार परिवार के लोगों का एक विकृत दृष्टिकोण कुटुंब के लिए कई समस्याएँ खड़ी करता है और विग्रह विद्वेष उत्पन्न करता है। इस तरह के दृष्टिकोण विकार में सर्वप्रमुख है - परिजनों का आत्मकेंद्रित होकर विचार करना।
What are the reasons that do not allow the family to become a haven of peace and happiness and keep creating enmity in them? The reasons may be many, but there is one main one, whose branches and branches create injustice, reasons and situations. Just as a blood disorder creates many symptoms that spoil the body health and creates many diseases, in the same way a distorted view of the family members creates many problems for the family and creates hatred. This type of attitude is most prominent in disorder - self-centered thinking of family members.
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भारत से समस्त विश्व में विद्या का प्रसार आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सत्यार्थप्रकाश में लिखते हैं कि यह निश्चय है कि जितनी विद्या और मत भूगोल में फैले हैं वे सब आर्यावर्त देश ही से प्रचारित हुए हैं। देखो! एक जैकालियट साहब पेरिस अर्थात फ्रांस देश के निवासी अपनी बाईबिल आफ इण्डिया में लिखते हैं कि सब विद्या...
अश्वमेध यज्ञ महर्षि दयानन्द अश्वमेध के मध्यकालीन रूप से सहमत नहीं थे और न इसे वेद व शतपथ ब्राह्मण के अनुकूल समझते थे। महर्षि ने ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में राजप्रजाधर्म में लिखा है कि राष्ट्रपालनमेव क्षत्रियाणाम अश्वमेधाख्यो यज्ञो भवति, नार्श्व हत्वा तदड्गानां होमकरणं चेति अर्थात् राष्ट्र का पालन करना ही क्षत्रियों का अश्वमेध यज्ञ है, घोड़े...