मानवीय विवेक
फिर भी सार्वभौम-धर्मत्तव को सर्वथा विस्मृत नहीं कर दिया गया है, उसकी सर्वत्र अवज्ञा, अवहेलना नहीं हुई है। विचारशील लोग सोचते हैं कि जब धरती-आसमान एक हैं, एक ही सर्दी-गर्मी सबको प्रभावित करती है हवा और पानी का एक ही तत्व सबका पोषण करता है और मनु की समस्त सन्तानें एक ही मनुष्य एवं मानव नाम से पुकारी जाती हैं, तो फिर समस्त विश्व का एक ही धर्म क्यों नहीं हो सकता? जब विज्ञान की मान्यताएँ सर्वत्र एक ही रूप में मानी जाती हैं तो ज्ञान को भी अविच्छिन्न क्यों नहीं रहना चाहिए। धर्म तत्त्व में देश और जाति के कारण अन्तर क्यों आना चाहिए? जब प्रेम, सत्य, संयम, औदार्य जैसे सद्गुण और क्रोध, छल, आलस्य आदि दुर्गुण सर्वत्र एक ही कसौटी पर कस कर भले और बुरे घोषित किये जाते हैं, तो धर्म की अन्यान्य मान्यताएँ क्यों ऐसी नहीं होनी चाहिए जिन्हें मानवीय विवेक बिना किसी हिचकिचाहट के अंगीकार कर सके?
Yet the universal Dharmatattva has not been forgotten completely, it has not been disobeyed or ignored everywhere. Thoughtful people think that when the earth and sky are one, the same cold and heat affect everyone, the same elements of air and water nourish everyone and all the children of Manu are called by the same name of Manushya and Manav, then why can't the whole world have only one Dharma?
Human Conscience | Arya Samaj Haryana | Akhil Bharat Arya Samaj | Arya Samaj Pandits for Pooja Haryana | Gayatri Mandir Haryana | Aarya Samaj Haryana | Vedic Pandits Helpline Haryana | All India Arya Samaj Haryana | Arya Samaj Marriage Haryana | Arya Samaj Pandits for Vastu Shanti Havan Haryana